tag:blogger.com,1999:blog-88763583616489472352024-03-13T14:12:45.432-07:00मुक्तिकाAnita Singhhttp://www.blogger.com/profile/17231021012402717315noreply@blogger.comBlogger9125tag:blogger.com,1999:blog-8876358361648947235.post-87013528195085777472021-07-19T23:47:00.000-07:002021-07-19T23:47:28.448-07:00 मां कोई याद करने की चीज नहीं हैै,<div>मां तो मन में बसी मूरत है ,</div><div>जैसे ईश्वर रोम रोम में बसे हैं,</div><div> वैसे ही मां भी ईश्वर का रूप है ,</div><div>मां त्याग की मूरत है,</div><div> बलिदान की देवी है ,</div><div>तेरी आंखों में ममता का सागर समाया है,</div><div> तेरा आंचल समंदर से भी गहरा है,</div><div> तेरा आशीर्वाद हिमालय से भी ऊंचा है,</div><div>तू मोहताज नहीं अपने नाम की मां,</div><div> मोहताज तो तूने बनाया है इंसान खुद को।</div><div> मां तो वह अमृत का प्याला है,</div><div> जो जिंदगी की कड़वाहट को भी अमृत बनाता है ,</div><div>मां तो फूल है जन्नत का ,</div><div>जो हर घर में खिलता है ,</div><div> मां के कदमों की मिट्टी मिल जाए तो, वह भी जन्नत की धूल है मां।</div><div> तू ही आदि है, तू ही अनंत है ,तू आई इस धरती पर ईश्वर की कृति है </div><div>तू प्रेम की मिसाल है भावनाओं का सागर है,</div><div> मां कोई याद करने की चीज नहीं है, मां तो मां है।</div><div> मां तो बस मन में बसी मूरत है,</div><div> मां कोई याद करने की चीज नहीं है </div><div> मां तो मन में बसी मूरत है।।</div>Anita Singhhttp://www.blogger.com/profile/17231021012402717315noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8876358361648947235.post-33551870970204437722021-07-15T03:21:00.001-07:002021-07-15T03:21:39.028-07:00 कहां गए वह दिनकहां गए वो दिन <div>कहां गए वह दिन ,</div><div>सुबह-सुबह चिड़ियों के स्वर ,</div><div>कोयल के गानों के स्वर,</div><div> मोर का पंख फैलाए नाचना,</div><div> वह मंदिर की घंटियों का बजना ,</div><div>छोटे-छोटे बाग बगीचे,</div><div> सुगंधित पुष्पों का खिलना,</div><div> वह रंग-बिरंगे त्योहार,</div><div> दीपों की दिवाली,</div><div> कहां गए वह दिन।</div><div> वह बच्चों का,</div><div> प्रातः काल की बेला में जागना,</div><div> वह बुजुर्गों का आशीष ,</div><div>और बड़ों का आदर सम्मान,</div><div> छोटों का लाड- प्यार</div><div> वह भीनी भीनी रिश्तों की महक, रिश्तो को जोड़ने की ललक ,</div><div>अपनों का अपनों से प्यार,</div><div> वह नारी का सम्मान ,</div><div> वह पुरुष में राम की झलक</div><div> वह भाई बहन का प्यार </div><div> कहां गए वह दिन ।</div><div> वह अनेकता में एकता की राह</div><div> वह लोगों को जोड़ने की चाह,</div><div> वह संस्कारों का समाज ,</div><div> वह वेदों की अनुभूति,</div><div> कहां गए वह दिन,</div><div> कहां गए वह दिन ।</div><div> क्या वह दिन वापस आएंगे,</div><div> क्या उन दिनों को हम,</div><div> फिर से महसूस कर पाएंगे ,</div><div> कहां गए वह दिन ,</div><div> कहां गए वो दिन।।</div>Anita Singhhttp://www.blogger.com/profile/17231021012402717315noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8876358361648947235.post-48148500970006922122021-07-15T02:48:00.001-07:002021-07-15T03:49:18.598-07:00 बदलाव<div class="separator" style="clear: both; text-align: center;">
<a href="https://lh3.googleusercontent.com/-EH4KGisuJME/YPAJVtExXGI/AAAAAAAAAEE/jyX8_rKNkdoMi7YFEMwkkoGJSc9p7gcRgCLcBGAsYHQ/s1600/1626343764281171-0.png" imageanchor="1" style="margin-left: 1em; margin-right: 1em;">
<img border="0" src="https://lh3.googleusercontent.com/-EH4KGisuJME/YPAJVtExXGI/AAAAAAAAAEE/jyX8_rKNkdoMi7YFEMwkkoGJSc9p7gcRgCLcBGAsYHQ/s1600/1626343764281171-0.png" width="400">
</a>
</div>इस दुनिया में कुछ बदलाव आना चाहिए,<div> दुनिया का दस्तूर बदलना चाहिए, इंसान में इंसानियत नहीं दिखाई देती, ऐसी इंसानियत में बदलाव आना चाहिए ,</div><div>इंसानों में भावनाओं का कोई मोल नहीं,</div><div> ऐसी भावनाओं में कुछ बदलाव आना चाहिए ,</div><div>इंसान रिश्ते बनाता है अमीरों से,</div><div> ऐसे रिश्तो में बदलाव आना चाहिए, इस दुनिया में कुछ बदलाव आना चाहिए ।</div><div><br></div><div>इंसान रिश्ते छुपाता है गरीबों के,</div><div> ऐसी गरीबी में बदलाव आना चाहिए, इंसान दूसरों को हंसता नहीं देख पाता, ऐसी हंसी में बदलाव आना चाहिए, इंसान लेकिन दूसरों को रुलाने के लिए मेहनत करता है,</div><div> ऐसी मेहनत में बदलाव आना चाहिए। आज की इंसानियत अपनी जीत के लिए नहीं ,</div><div>बल्कि दूसरों की हार के लिए होती है, ऐसी इंसानियत में बदलाव आना चाहिए ,</div><div>इस दुनिया में कुछ बदलाव आना चाहिए ।</div><div>इंसान अपने सुख से सुखी नहीं ,</div><div>बल्कि दूसरों के दुख से दुखी है,</div><div> ऐसे सुख दुख में बदलाव आना चाहिए,</div><div> इंसान अपने आदर्शों का बखान करता है</div><div> दूसरों के आदर्शों को खोकला महज समझता है ,</div><div>ऐसे आदर्शों में बदलाव आना चाहिए। इंसान कहता कुछ है करता कुछ है, ऐसी कथनी और करनी में बदलाव आना चाहिए ,</div><div>इस दुनिया में कुछ बदलाव आना चाहिए </div><div>इस दुनिया में कुछ बदलाव आना चाहिए ।</div>Anita Singhhttp://www.blogger.com/profile/17231021012402717315noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8876358361648947235.post-74336220027500595682020-10-10T20:13:00.000-07:002020-10-10T20:13:01.060-07:00 पंछी<div class="separator" style="clear: both; text-align: center;">
<a href="https://lh3.googleusercontent.com/-0knpXIOtypY/X4J4OjafqQI/AAAAAAAAABk/Z08N9oK3WcQn5VqW0_Q0YK0hU4QiHgE6wCLcBGAsYHQ/s1600/1602385973365716-0.png" imageanchor="1" style="margin-left: 1em; margin-right: 1em;">
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</div><div class="separator" style="clear: both; text-align: center;">
<a href="https://lh3.googleusercontent.com/-fA5F7vY8_0k/X4J4NPfdV_I/AAAAAAAAABg/seMa2-tyuigThsrd8H67TaH2gluOc1BRgCLcBGAsYHQ/s1600/1602385967572499-1.png" imageanchor="1" style="margin-left: 1em; margin-right: 1em;">
<img border="0" src="https://lh3.googleusercontent.com/-fA5F7vY8_0k/X4J4NPfdV_I/AAAAAAAAABg/seMa2-tyuigThsrd8H67TaH2gluOc1BRgCLcBGAsYHQ/s1600/1602385967572499-1.png" width="400">
</a>
</div>काश में एक चिड़िया होती ,<div>मेरे भी काश पंख होते,</div><div> उड़ती, फिरती, घूमती ,उड़ती ,</div><div>पकड़ में किसी के ना आती,</div><div> काश में एक चिड़िया होती।</div><div> तिनके- तिनके से घोंसला बनाती, कभी इस शाखा , कभी उस शाखा, </div><div> रुकती नहीं भटकती नहीं,</div><div> पंख लिए बिन परवाह के उड़ती </div><div> काश मैं भी एक चिड़िया होती।</div><div><div> ऊंची उड़ान भरती ,</div><div> कभी पीछे नहीं देखती,</div><div> ऊंचे -ऊंचे पेग बढ़ाती,</div><div> आसमान से भी ऊंचा उड़ने की</div><div> चाह में उड़ती जाती </div><div>काश में एक चिड़िया होती।</div><div> ना जमाने की परवाह होती, </div><div>ना संसार के मोह की परवाह होती, ना दुख ना सुख, ना दौलत की चाह होती,</div><div> बस छोटे से घोसले की चाह होती जिसमें रात सुकून से गुजारती,</div><div> सुबह होते ही फिर खुले आसमान में पंख लगा उड़ती फिरती,</div><div> काश मैं भी एक चिड़िया होती।</div><div> ना हार की चिंता, न जीत का जश्न,</div><div> ना खोने का दुख न पाने का सुख,</div><div> ना रिश्तो की चिंता, ना सम्मान की चिंता,</div><div> पर फैलाए उड़ते रहना,</div><div> यही जीवन का सार होना ,</div><div>काश मैं भी एक चिड़िया होती ,</div><div>मैं भी एक चिड़िया होती।।</div></div>Anita Singhhttp://www.blogger.com/profile/17231021012402717315noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8876358361648947235.post-30480819563351750682020-10-05T09:37:00.001-07:002020-10-05T09:39:16.780-07:00स्वरचित कविता<a href="https://youtu.be/UqUSm5_nZUE">MERI parchhanyian</a>Anita Singhhttp://www.blogger.com/profile/17231021012402717315noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8876358361648947235.post-51965292919487347042020-09-11T09:14:00.001-07:002020-11-01T09:07:59.678-08:00~जीवन का सफर<div class="separator" style="clear: both; text-align: center;">
<a href="https://lh3.googleusercontent.com/-6u-x5cWdwMs/X57rbfhPa-I/AAAAAAAAAB4/doGdkFgTIqY3TssV2W4NE-7B1aPjgmusgCLcBGAsYHQ/s1600/1604250470683312-0.png" imageanchor="1" style="margin-left: 1em; margin-right: 1em;">
<img border="0" src="https://lh3.googleusercontent.com/-6u-x5cWdwMs/X57rbfhPa-I/AAAAAAAAAB4/doGdkFgTIqY3TssV2W4NE-7B1aPjgmusgCLcBGAsYHQ/s1600/1604250470683312-0.png" width="400">
</a>
</div> जिंदगी कांटो का सफर है ,<div> हौसला इसकी पहचान है </div><div> रास्ते पर तो सभी चलते हैं </div><div> जो रास्ते बनाए वही इंसान है,</div><div> जो रास्ते बनाए वही इंसान है ।</div><div> </div><div> राह तो हर कोई दिखाता है ,</div><div> राह तो हर कोई दिखाता है </div><div> पर जो सही राह दिखाए ,</div><div> वही सच्चा मार्गदर्शक है ,</div><div> सबसे बड़ी और गहरी बात तो यह है कि ,</div><div> जो बताई हुई सच्ची राह पर चले </div><div> वास्तव में वही पथिक है ।</div><div><br></div><div> जिंदगी कांटो का सफर है </div><div> हौसला इसकी पहचान है ।</div><div> हौसलौ के साथ अपने कदम बढ़ाओ ,</div><div> यह जमीन भी तुम्हारी है ,</div><div> यह आसमां भी तुम्हारा है ,</div><div> बस तुम्हें अपने हौसलों के सहारे</div><div> इस कांटो की राह पर चलना है </div><div> इस राह पर चलते चलते ,</div><div> कांटो की राह को फूलों में बदलना है </div><div> जिसने यह राह बदल दी ,</div><div> वही इस राह का इंसान है ।</div><div><br></div><div> जिंदगी कांटो का सफर है </div><div> हौसला इसकी पहचान है </div><div> इस राह पर चलते चलते ,</div><div> कई मुकाम मिलेंगे ,</div><div> कई मंजिले मिलेंगी</div><div> पर हमें इन मंजिलों में से </div><div> अपनी मंजिल को ढूंढना है</div><div> अपनी मंजिल को ढूंढना है।</div><div> हौसला और हिम्मत ही ,</div><div> इसकी पहचान है जिसने </div><div> कांटो पर चलकर ,</div><div> अपनी मंजिल को और </div><div> अपने मुकामों को जीत लिया </div><div> हासिल कर लिया इंसान तो वही है </div><div> जिसने मंजिलें हासिल कर ली ,</div><div> अपने मुकाम पा लिये। </div><div><br></div><div> जिंदगी कांटो का सफर है </div><div> हौसला इसकी पहचान है ,</div><div> रास्ते पर तो सभी चलते हैं </div><div> जो रास्ते बनाए वही इंसान है ,</div><div> जो रास्ते बनाए वही इंसान हो ।</div><div><br></div>Anita Singhhttp://www.blogger.com/profile/17231021012402717315noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8876358361648947235.post-1307127415711280952020-09-09T05:17:00.001-07:002020-09-09T05:17:46.085-07:00~नारी एक मां<div class="separator" style="clear: both; text-align: center;">
<a href="https://lh3.googleusercontent.com/-98PrVee24MI/X1jH565FFgI/AAAAAAAAAAU/TfW8PPTVGs8ouwv9WlPxF6ZV48NbQOKLACLcBGAsYHQ/s1600/1599653861423088-0.png" imageanchor="1" style="margin-left: 1em; margin-right: 1em;">
<img border="0" src="https://lh3.googleusercontent.com/-98PrVee24MI/X1jH565FFgI/AAAAAAAAAAU/TfW8PPTVGs8ouwv9WlPxF6ZV48NbQOKLACLcBGAsYHQ/s1600/1599653861423088-0.png" width="400">
</a>
</div>औरत एक मां एक स्त्री है,<div> एक बहन है एक पत्नी है ।</div><div>एक बेटी है एक ग्रहणी है ।</div><div>पर त्याज्य नहीं है ।</div><div>बचपन में मां जरूरत है ।</div><div>युवावस्था में मां बाधा है ,</div><div> प्रौढ़ावस्था में वह रोड़ा है ,</div><div>और वृद्धावस्था में मां ,</div><div>वही मां एक बजा है ।</div><div>मां का सम्मान कहीं </div><div>खोता जा रहा है ।</div><div>पर फिर भी मां, मां कहलाती है।</div><div> मां सिर्फ समय की जरूरत </div><div>नहीं है ,क्या मिले</div><div> उसे वह सम्मान नहीं</div><div> जिसके वह अधिकारी है,</div><div> बचपन में मां चलना</div><div> सिखाती ,खाना सिखाती</div><div> रात रात जागकर गोद </div><div>में सुलाती, पालना झूलाती,</div><div> वही मां समय आने</div><div> पर बच्चों के लिए </div><div>बोझा बन जाती ।</div><div>औरत एक मां एक स्त्री है,</div><div> एक बहन है पत्नी है।</div>Anita Singhhttp://www.blogger.com/profile/17231021012402717315noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8876358361648947235.post-15999756850068649472020-09-09T05:04:00.001-07:002020-09-09T05:04:34.080-07:00~अगर विश्वास हो अपनाअगर विश्वास हो अपना,<div>मंजिले जरूर मिलेगी ,<br></div><div>अगर दीपक हो अपना ,रौशनी भी होगी ,</div><div>अगर रास्ते हो अपने ,</div><div>मंजिल भी मिलेगी ,</div><div>अगर विश्वास हो अपना,</div><div>मंजिले जरूर मिलेगीl </div><div>जीवन एक आशा है,</div><div>आशा अगर विश्वास है ,</div><div>तो जीवन मैं आशा की अनुभूति होगी,</div><div>जीत का अह्सास</div><div> मिलेगा ,</div><div> अगर एकता मैं विश्वास है, एकजुट होने का विश्वास है,</div><div> तो अवश्य ही हम</div><div> जीवन की यह जंग जीतेंगे ,</div><div>अगर विश्वास है अपना </div><div>मंजिले जरूर मिलेगी l </div>Anita Singhhttp://www.blogger.com/profile/17231021012402717315noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8876358361648947235.post-36143176388066731282020-09-09T04:48:00.001-07:002020-09-09T04:48:29.978-07:00~मैं और मेरी परछाईं<div class="separator" style="clear: both; text-align: center;">
<a href="https://lh3.googleusercontent.com/-QgMfFjOUzcw/X1jBDG9gu2I/AAAAAAAAAAM/J6TUGMt0ANMZScFugoX4rzLFZ05HFhuigCLcBGAsYHQ/s1600/1599652106409311-0.png" imageanchor="1" style="margin-left: 1em; margin-right: 1em;">
<img border="0" src="https://lh3.googleusercontent.com/-QgMfFjOUzcw/X1jBDG9gu2I/AAAAAAAAAAM/J6TUGMt0ANMZScFugoX4rzLFZ05HFhuigCLcBGAsYHQ/s1600/1599652106409311-0.png" width="400">
</a>
</div><div><br></div><div>मैं और मेरी परछाईं ,</div><div>मैं आज तक उस परछाईं</div><div>को ढूंढ रही हूं ,</div><div>पर शायद यह भूल गईं कि , परछाई सदा मेरे साथ रहती है ,</div><div>प्रकाश में मेरी छाया </div><div>मेरा अनुसरण करती है l</div><div>प्रकाश है तो परछाई है ,</div><div>प्रकाश नहीं तो परछाई भी नहीं ,</div><div>परछाई जीवन भर मेरे साथ है ,</div><div>प्रकाश और परछाई का यह </div><div>खेल में समझ ना पाई ,</div><div>पर आज तक मैं इसे पकड़ भी ना पाई l</div><div>यह परछाइयां मेरा साथ नहीं छोड़ती ,</div><div>पीछे पीछे भागती है ,</div><div>मैं कहीं भी जाऊं ,कहीं भी रहूं ,</div><div>यह मेरा पीछा नहीं छोड़ती l</div><div>अच्छे और बुरे क्षणों का एहसास दिलाती है , यह परछाइयांl</div><div>जब आत्मा अपना शरीर त्यागती है ,</div><div>सही मायने में यह परछाइयां भी तभी तुझे त्याग पाएंगी ,</div><div>और मैं इन परछाईयों को ढूंढ रही हूं l</div><div>मैं इस परछाईं को ढूंढ रही हूं ,</div><div>मैं इस परछाईं को ढूंढते ढूंढते यहां तक आ गई ,</div><div> पर अपनी परछाई को समझ ना पाई,</div><div>शायद यही मैं और मेरी ,</div><div>परछाइयां है ,</div><div>मैं आज तक उस परछाई को ढूंढ रही हूं।</div><div><br></div>Anita Singhhttp://www.blogger.com/profile/17231021012402717315noreply@blogger.com