~नारी एक मां
औरत एक मां एक स्त्री है,
एक बहन है एक पत्नी है ।
एक बेटी है एक ग्रहणी है ।
पर त्याज्य नहीं है ।
बचपन में मां जरूरत है ।
युवावस्था में मां बाधा है ,
प्रौढ़ावस्था में वह रोड़ा है ,
और वृद्धावस्था में मां ,
वही मां एक बजा है ।
मां का सम्मान कहीं
खोता जा रहा है ।
पर फिर भी मां, मां कहलाती है।
मां सिर्फ समय की जरूरत
नहीं है ,क्या मिले
उसे वह सम्मान नहीं
जिसके वह अधिकारी है,
बचपन में मां चलना
सिखाती ,खाना सिखाती
रात रात जागकर गोद
में सुलाती, पालना झूलाती,
वही मां समय आने
पर बच्चों के लिए
बोझा बन जाती ।
औरत एक मां एक स्त्री है,
एक बहन है पत्नी है।