~मैं और मेरी परछाईं


मैं और मेरी परछाईं ,
मैं आज तक उस परछाईं
को ढूंढ रही हूं ,
पर शायद यह भूल गईं कि , परछाई सदा मेरे साथ रहती है ,
प्रकाश में मेरी छाया 
मेरा अनुसरण करती है l
प्रकाश है तो परछाई है ,
प्रकाश नहीं तो परछाई भी नहीं ,
परछाई जीवन भर मेरे साथ है ,
प्रकाश और परछाई का यह 
खेल में समझ ना पाई ,
पर आज तक मैं इसे पकड़ भी ना पाई l
यह परछाइयां मेरा साथ नहीं छोड़ती ,
पीछे पीछे भागती है ,
मैं कहीं भी जाऊं ,कहीं भी रहूं ,
यह मेरा पीछा नहीं छोड़ती l
अच्छे और बुरे क्षणों का एहसास दिलाती है , यह परछाइयांl
जब आत्मा अपना शरीर त्यागती है ,
सही मायने में यह परछाइयां भी तभी तुझे त्याग पाएंगी ,
और मैं इन परछाईयों को ढूंढ रही हूं l
मैं इस परछाईं को ढूंढ रही हूं ,
मैं इस परछाईं को ढूंढते ढूंढते यहां तक आ गई ,
 पर अपनी परछाई को समझ ना पाई,
शायद यही मैं और मेरी ,
परछाइयां है ,
मैं आज तक उस परछाई को ढूंढ रही हूं।

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