कहां गए वह दिन

कहां गए वो दिन 
कहां गए वह दिन ,
सुबह-सुबह चिड़ियों के स्वर ,
कोयल के गानों के स्वर,
 मोर का पंख फैलाए नाचना,
 वह मंदिर की घंटियों का बजना ,
छोटे-छोटे बाग बगीचे,
 सुगंधित पुष्पों का खिलना,
 वह रंग-बिरंगे त्योहार,
 दीपों की दिवाली,
 कहां गए वह दिन।
 वह बच्चों का,
 प्रातः काल की बेला में जागना,
 वह बुजुर्गों का आशीष ,
और बड़ों का आदर सम्मान,
 छोटों का लाड- प्यार
 वह भीनी भीनी रिश्तों  की महक, रिश्तो को जोड़ने की ललक ,
अपनों का अपनों से प्यार,
 वह नारी का सम्मान ,
 वह पुरुष में राम की झलक
 वह भाई बहन का प्यार 
 कहां गए वह दिन ।
 वह अनेकता में एकता की राह
 वह लोगों को जोड़ने की चाह,
  वह संस्कारों का समाज ,
 वह वेदों की अनुभूति,
 कहां गए वह दिन,
 कहां गए वह दिन ।
  क्या वह दिन वापस आएंगे,
  क्या उन दिनों को हम,
  फिर से महसूस कर पाएंगे ,
 कहां गए वह दिन ,
  कहां गए वो दिन।।

Popular posts from this blog

~नारी एक मां

मां