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मां

 कोई याद करने की चीज नहीं हैै, मां तो मन में बसी मूरत है , जैसे ईश्वर रोम रोम में बसे हैं,  वैसे ही मां भी ईश्वर का रूप है , मां त्याग की मूरत है,  बलिदान की देवी है , तेरी आंखों में ममता का सागर समाया है,  तेरा आंचल समंदर से भी गहरा है,  तेरा आशीर्वाद हिमालय से भी ऊंचा है, तू मोहताज नहीं  अपने नाम की मां,  मोहताज तो तूने बनाया है इंसान खुद को।  मां तो वह अमृत का प्याला है,  जो जिंदगी की कड़वाहट को भी अमृत बनाता है , मां तो फूल है जन्नत का , जो हर घर में खिलता है ,  मां के कदमों की मिट्टी मिल जाए तो, वह भी जन्नत की धूल है मां।  तू ही आदि है, तू ही अनंत है ,तू आई इस धरती पर ईश्वर की कृति है  तू  प्रेम की मिसाल है भावनाओं का सागर है,  मां कोई याद करने की चीज नहीं है,     मां तो मां है।  मां तो बस मन में बसी मूरत है,  मां कोई याद करने की चीज नहीं है   मां तो मन में बसी मूरत  है।।

कहां गए वह दिन

कहां गए वो दिन  कहां गए वह दिन , सुबह-सुबह चिड़ियों के स्वर , कोयल के गानों के स्वर,  मोर का पंख फैलाए नाचना,  वह मंदिर की घंटियों का बजना , छोटे-छोटे बाग बगीचे,  सुगंधित पुष्पों का खिलना,  वह रंग-बिरंगे त्योहार,  दीपों की दिवाली,  कहां गए वह दिन।  वह बच्चों का,  प्रातः काल की बेला में जागना,  वह बुजुर्गों का आशीष , और बड़ों का आदर सम्मान,  छोटों का लाड- प्यार  वह भीनी भीनी रिश्तों  की महक, रिश्तो को जोड़ने की ललक , अपनों का अपनों से प्यार,  वह नारी का सम्मान ,  वह पुरुष में राम की झलक  वह भाई बहन का प्यार   कहां गए वह दिन ।  वह अनेकता में एकता की राह  वह लोगों को जोड़ने की चाह,   वह संस्कारों का समाज ,  वह वेदों की अनुभूति,  कहां गए वह दिन,  कहां गए वह दिन ।   क्या वह दिन वापस आएंगे,   क्या उन दिनों को हम,   फिर से महसूस कर पाएंगे ,  कहां गए वह दिन ,   कहां गए वो दिन।।

बदलाव‌

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इस दुनिया में कुछ बदलाव आना चाहिए,  दुनिया का दस्तूर बदलना चाहिए, इंसान में इंसानियत नहीं दिखाई देती, ऐसी इंसानियत में बदलाव आना चाहिए , इंसानों में भावनाओं का कोई मोल नहीं,  ऐसी भावनाओं में कुछ बदलाव आना चाहिए , इंसान रिश्ते बनाता है अमीरों से,  ऐसे रिश्तो में बदलाव आना चाहिए, इस दुनिया में कुछ बदलाव आना चाहिए । इंसान रिश्ते छुपाता है गरीबों के,  ऐसी गरीबी में बदलाव आना चाहिए, इंसान दूसरों को हंसता नहीं देख पाता, ऐसी हंसी में बदलाव आना चाहिए, इंसान लेकिन दूसरों को रुलाने के लिए मेहनत करता है,  ऐसी मेहनत में बदलाव आना चाहिए। आज की इंसानियत अपनी जीत के लिए नहीं , बल्कि दूसरों की हार के लिए होती है, ऐसी इंसानियत में बदलाव आना चाहिए , इस दुनिया में कुछ बदलाव आना चाहिए । इंसान अपने सुख से सुखी नहीं , बल्कि दूसरों के दुख से दुखी है,  ऐसे सुख दुख में बदलाव आना चाहिए,  इंसान अपने आदर्शों का बखान करता है  दूसरों के आदर्शों को खोकला महज समझता है , ऐसे आदर्शों में बदलाव आना चाहिए। इंसान कहता कुछ है करता कुछ है, ऐसी कथनी और करनी में बदलाव आना चाहिए , इस दुनिया में कुछ बदलाव आना चाहिए 

पंछी

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काश में एक चिड़िया होती , मेरे भी काश पंख होते,  उड़ती, फिरती, घूमती ,उड़ती , पकड़ में किसी के ना आती,  काश में एक चिड़िया होती।       तिनके- तिनके से घोंसला बनाती,      कभी इस शाखा , कभी उस शाखा,      रुकती नहीं भटकती नहीं,      पंख लिए बिन परवाह के  उड़ती        काश मैं भी एक चिड़िया होती।  ऊंची उड़ान भरती ,  कभी पीछे नहीं देखती,  ऊंचे -ऊंचे पेग बढ़ाती,  आसमान से भी ऊंचा उड़ने की  चाह में उड़ती जाती  काश में एक चिड़िया होती।      ना जमाने की परवाह होती,  ना  संसार के मोह  की परवाह होती, ना दुख ना सुख, ना दौलत की चाह होती,   बस छोटे से  घोसले  की चाह होती     जिसमें रात सुकून से गुजारती,  सुबह होते ही फिर खुले आसमान में    पंख लगा उड़ती फिरती,  काश मैं भी एक चिड़िया होती।  ना हार की चिंता, न जीत का जश्न,  ना खोने का दुख न पाने का सुख,  ना रिश्तो की चिंता, ना सम्मान की चिंता,  पर फैलाए उड़ते रहना,  यही जीवन का सार होना , काश मैं भी एक चिड़िया होती , मैं भी एक चिड़िया होती।।

स्वरचित कविता

MERI parchhanyian

~जीवन का सफर

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         जिंदगी कांटो का सफर है ,         हौसला इसकी पहचान है          रास्ते पर तो सभी चलते हैं         जो रास्ते बनाए वही इंसान है,        जो रास्ते बनाए वही इंसान है ।                राह तो हर कोई दिखाता है ,         राह तो हर कोई दिखाता है          पर जो सही राह दिखाए ,         वही सच्चा मार्गदर्शक है ,        सबसे बड़ी और गहरी बात तो यह है कि ,       जो बताई हुई सच्ची राह पर चले         वास्तव में वही पथिक है ।       जिंदगी कांटो का सफर है       हौसला इसकी पहचान है ।      हौसलौ के साथ अपने कदम बढ़ाओ ,      यह जमीन भी तुम्हारी है ,     यह आसमां भी तुम्हारा है ,     बस तुम्हें अपने हौसलों के सहारे     इस कांटो की राह पर चलना है      इस राह पर चलते चलते ,     कांटो की राह को फूलों में बदलना है      जिसने यह राह बदल दी ,    वही इस राह का इंसान है ।      जिंदगी कांटो का सफर है       हौसला इसकी पहचान है       इस राह पर चलते चलते ,      कई मुकाम मिलेंगे ,      कई मंजिले मिलेंगी      पर हमें इन मंजिलों में से       अपनी मंजिल को ढूंढना है      अपनी

~नारी एक मां

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औरत एक मां एक स्त्री है,  एक बहन है एक पत्नी है । एक बेटी है एक ग्रहणी है । पर त्याज्य नहीं है । बचपन में मां जरूरत है । युवावस्था में मां बाधा है ,  प्रौढ़ावस्था  में वह रोड़ा है , और वृद्धावस्था में मां , वही मां एक बजा है । मां का सम्मान कहीं  खोता जा रहा है । पर फिर भी मां, मां कहलाती है।  मां सिर्फ समय की जरूरत  नहीं है ,क्या मिले  उसे वह सम्मान नहीं  जिसके वह अधिकारी है,  बचपन में मां चलना  सिखाती ,खाना सिखाती  रात रात जागकर गोद  में सुलाती, पालना झूलाती,  वही मां समय आने  पर बच्चों के लिए  बोझा बन जाती । औरत एक मां एक स्त्री है,  एक बहन है पत्नी है।